बिहान योजना बनी आर्थिक स्वावलंबन का आधार ,,,
रायगढ़ न्यूज़ / छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) के समन्वित प्रयासों से रायगढ़ जिले की ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं। एक समय था जब ग्रामीण महिलाएं केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, किंतु अब वे जैविक कृषि, पशुपालन और सूक्ष्म उद्यमों के माध्यम से लखपति दीदी के रूप में, सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रेरणा बन गई हैं।
रायगढ़ जिले की एक लाख 45 हजार 49 महिलाएं अब तक 13 हजार 500 स्व-सहायता समूहों से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं। ये समूह न केवल नियमित बचत एवं आंतरिक ऋण प्रणाली का संचालन कर रहे हैं, बल्कि विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर आजीविका संवर्धन की दिशा में प्रभावी कार्य भी कर रहे हैं।
पुसौर, खरसिया और धरमजयगढ़ विकासखंडों में 40-40 कृषि मित्र एवं पशु सखी चिन्हित कर उन्हें विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। कृषि मित्र महिलाओं को जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक दवाओं के निर्माण और उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया है, जिसके माध्यम से वे स्वयं की कृषि भूमि पर सतत कृषि को बढ़ावा दे रही हैं। इससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और वे ‘लखपति दीदी’ के रूप में पहचान बना रही हैं।
वहीं, पशु सखी के रूप में कार्यरत महिलाएं पारंपरिक एवं घरेलू उपचार विधियों के माध्यम से पशु स्वास्थ्य देखभाल का कार्य कर रही हैं। इससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है और पशुपालन ग्रामीण परिवारों के लिए लाभकारी व्यवसाय बनकर उभरा है।
28 करोड़ से अधिक की बैंक क्रेडिट लिंकिंग
वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक जिले के 1,045 समूहों को कुल 28 करोड़ 37 लाख रुपये की राशि बैंक क्रेडिट लिंकिंग के माध्यम से स्वीकृत की गई है। माइक्रो क्रेडिट योजना के अंतर्गत प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय किश्त के रूप में यह राशि प्रदान की जा रही है, जिसका उपयोग महिलाएं कृषि, पशुपालन, मुर्गी पालन, लघु उद्योग, मत्स्य पालन सहित विविध आजीविका गतिविधियों में कर रही हैं।
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत जितेन्द्र यादव के मार्गदर्शन में जिले की महिलाओं को कम से कम तीन आजीविका गतिविधियों से जोड़ने का अभियान संचालित किया जा रहा है। जिला मिशन प्रबंधन इकाई द्वारा ‘बिहान’ के साथ-साथ मनरेगा, कृषि, उद्यानिकी, महिला एवं बाल विकास, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) आदि योजनाओं के समन्वय से समूहों को तकनीकी प्रशिक्षण एवं निरंतर मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जा रहा है।
इस बहुआयामी प्रयास के परिणामस्वरूप रायगढ़ जिले की महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बन रही हैं, बल्कि ग्राम स्तर पर नेतृत्व की भूमिका निभाते हुए अपने परिवार और समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत बन रही हैं। जैविक कृषि और पशुपालन जैसे परंपरागत क्षेत्रों को आधुनिक दृष्टिकोण से अपनाकर महिलाएं अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की वाहक बन चुकी हैं।
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