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जेएलएन चिकित्सालय में विश्व रक्तदाता दिवस 2025 पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रथाओं पर सीएमई,,,

 स्वैच्छिक रक्तदान की भूमिका पर व्यापक संवाद ,,,

भिलाई न्यूज़ /  सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के अंतर्गत संचालित जेएलएन चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के ब्लड सेंटर द्वारा विश्व रक्तदाता दिवस 2025 के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

जिसका उद्देश्य स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व को रेखांकित करना और आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रथाओं पर चिकित्सकों को अद्यतन जानकारी प्रदान करना था। यह आयोजन कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ. रवीन्द्रनाथ एम. के मार्गदर्शन में तथा संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से सम्पन्न हुआ।

14 जून को आयोजित अर्द्धदिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा (सी एम ई) कार्यक्रम का विषय था – “रक्तदान करें, आशा दें: साथ मिलकर जीवन बचाएं”, जिसमें रक्तदान की समयबद्धता और मानवीय महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया गया। रक्तदाता दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति (आयुष विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़) डॉ. पी. के. पात्रा ने किया। 

इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (एम एंड एचएस) डॉ. रवीन्द्रनाथ एम., मुख्य चिकित्सा अधिकारीगण डॉ. कौशलेंद्र ठाकुर, डॉ. विनीता द्विवेदी, डॉ. उदय कुमार, एवं डॉ. सौरव मुखर्जी तथा महाप्रबंधक (एम एंड एस – मेडिकल) एस.एम. शाहिद अहमद भी मंच पर उपस्थित रहे। समापन सत्र की अध्यक्षता कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) ए.के. चक्रवर्ती ने की।


उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. पी. के. पात्रा ने भिलाई इस्पात संयंत्र के चिकित्सा विभाग द्वारा इस महत्वपूर्ण दिवस पर उठाए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी भी पहल की सफलता तभी स्थायी होती है जब वह योजनाकार की उपस्थिति से परे जाकर भी आगे बढ़ती रहे। उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद रक्तदान को लेकर समाज में जागरूकता अभी भी सीमित है। 

रक्तदान को पूर्णतः सुरक्षित बताते हुए उन्होंने कहा कि एक यूनिट रक्त से चार जीवनदायिनी कंपोनेंट प्राप्त किए जा सकते हैं, जो चार अलग-अलग मरीजों का जीवन बचा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रक्तदाता को स्वयं भी स्वस्थ रहना चाहिए, ताकि उसका रक्त गुणवत्तापूर्ण हो। युवा चिकित्सकों से उन्होंने आह्वान किया कि वे नवाचारयुक्त जनस्वास्थ्य परियोजनाओं के साथ आगे आएं और यह आश्वासन दिया कि सरकार ऐसी पहलों को हरसंभव सहयोग देने को तत्पर है।

कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा) डॉ. एम. रवीन्द्रनाथ ने इस अवसर पर ब्लड सेंटर की टीम को सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कुलपति डॉ. पी. के. पात्रा के सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा में दिए गए योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।

 उन्होंने कहा, “जैसे रक्त संबंध सबसे गहरे होते हैं, वैसे ही किसी अज्ञात को दिया गया रक्त, जीवन बचाकर समाज में करुणा और सौहार्द का अदृश्य बंधन जोड़ता है।” उन्होंने विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से आए अतिथि वक्ताओं का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों पर उपयोगी जानकारी साझा की।

दो दिवसीय रक्तदाता दिवस के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) ए.के. चक्रवर्ती ने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदाताओं का योगदान मौन होते हुए भी अत्यंत प्रभावशाली होता है। उन्होंने रक्तदान को न केवल सुरक्षित और लाभकारी बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह मानवता की भावना को सशक्त करता है। उन्होंने कहा, “रक्तदान एक ऐसा उदार कर्म है, जो सामाजिक भेदभाव से परे हमें एक सूत्र में पिरोता है – हम सब एक ही मानवता की डोर से बंधे हैं।”

सीएमई सत्रों में वरिष्ठ कंसल्टेंट (ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन) डॉ. दीपक दाशमोहपात्रा के संयोजन में तकनीकी प्रस्तुतियाँ आयोजित की गईं, जिनमें वरिष्ठ फैकल्टी (एम्स, गुवाहाटी) डॉ. गोपाल कृष्ण रे ने रक्त घटक चयन में ए बी ओ विसंगतियों के समाधान पर चर्चा की। वरिष्ठ चिकित्सक (बाल्को मेडीकल सेंटर, रायपुर) डॉ. नीलेश जैन ने रोगी रक्त प्रबंधन को एक मानक प्रथा के रूप में रेखांकित किया, वहीं वरिष्ठ फैकल्टी (एम्स, रायपुर) डॉ. रमेश चंद्राकर ने स्वैच्छिक रक्तदाता चयन के नवीनतम दिशानिर्देशों पर प्रकाश डालते हुए उपयुक्त दाता के चयन की आवश्यकता को रेखांकित किया।

इस कार्यक्रम में एसीएमओ (पैथोलॉजी) डॉ. मनीषा कांगो, एसीएमओ (एम एंड एचएस एवं प्रभारी, ब्लड सेंटर) डॉ. निली एस. कुजुर, कंसल्टेंट (पैथोलॉजी) डॉ. राजू भैसारे, डीसीएमओ (पैथोलॉजी) डॉ. गुरमीत सिंह, वरिष्ठ कंसल्टेंट (पैथोलॉजी) डॉ. प्रिया साहू  तथा कंसल्टेंट (पैथोलॉजी) डॉ. प्रतीक शिवप्पा सहित आयोजन समिति के प्रमुख सदस्यगण उपस्थित रहे। उनके साथ अन्य चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, डीएनबी चिकित्सक और रक्तदाता भी सम्मिलित हुए।

सीएमई में प्रस्तुतिकरण के साथ-साथ शोध-पत्र वाचन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, रक्तदाताओं एवं रोगियों का सम्मान समारोह तथा पुरस्कार वितरण भी किया गया। इस अवसर पर थैलेसीमिया से जूझ रही सुश्री स्नेहा नायक, जो बचपन से जेएलएन चिकित्सालय के ब्लड सेंटर से नियमित रूप से रक्त प्राप्त करती रही हैं, को भी सम्मानित किया गया। उन्होंने भावुक स्वर में अपने अनुभव साझा करते हुए चिकित्सालय प्रशासन का उनके प्रति निरंतर सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कंसल्टेंट (ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन) डॉ. दीपक दाशमोहपात्रा ने किया तथा समापन पर सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एम एंड एचएस एवं प्रभारी, ब्लड सेंटर) डॉ. निली एस. कुजुर ने आभार प्रदर्शन किया। 


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